भूल का ज्ञान-
प्रसिद्ध संत और धर्मोपदेशक हसन बसरी एक बार संत राबिया से मिलने गये. उन्होंने उससे कहा- “आइये, हम पानी पर बैठ कर बात करते हैं.'
राबिया को पता था कि हसन को पानी पर तैरने की कला आती है. वह पानी पर बैठ कर बातचीत करने के लिए कह रहे हैं ताकि अपनी कला का प्रदर्शन कर वाहवाही लूट सकें. मुस्कराते हुए राबिया ने कहा- “पानी क्यों? हम तो हवा में उड़ते हुए बातें करेंगे. "
यह सुनकर हसन मायूस हो गये. क्योंकि, उन्हें सिर्फ पानी पर तैरने की कला आती थी, जबकि राबिया को हवा में भी तैरना आता था. उनकी मायूसी देखकर राबिया ने हंसते हुए कहा- "न हम पानी पर बैठ कर बातचीत करेंगे न हवा में उड़ते हुए.
अरे, पानी पर तैरने का काम तो मछली भी आराम कर सकती है और मक्खी भी हवा में आसानी से उड़ सकती है. तो क्या हम उनकी तरह व्यवहार करें? हमारे पास क्या केवल मछली और मक्खी का ही हुनर बाकी रह गया है?" राबिया की बात सुनकर हसन को शर्मिंदगी हुई.
राबिया ने पुनः कहा- “चमत्कार का करतब दिखाना साधु-संतों का काम नहीं है. उनका काम है लोगों का सही मार्गदर्शन करना. वही हमें ध्यान देकर करना चाहिए." राबिया की बात सुनकर हसन को अपनी भूल का ज्ञान हुआ.
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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