भारत के धार्मिक साहित्य में पुराणों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. युगों-युगों से उच्च जीवन मूल्यों को लोकजीवन में समाहित करने में पुराणों ने बहुत अहम् भूमिका निभायी है. वेदों और उपनिषदों की गूढ़ बातों को समझना जन-सामान्य के वश की बात नहीं थी. इन्हें समझने के लिए बहुत बुद्धि, मेधा और एक विशिष्ट जीवनचर्या की आवश्यकता होती है, जो आम आदमी नहीं अपना सकता था. लिहाजा, हमारे मनीषियों ने पुराणों के माध्यम से इन ग्रंथों के सार को जनमानस तक पहुँचाया. यह सार-सन्देश अधिकतर कथाओं के माध्यम से प्रसारित किया गया.
टेलीविजन और रेडिओ आने से पहले नाटक मंडलियाँ, नौटंकी मंडलियाँ, रामलीला और रासलीला मंडलियाँ इन कथाओं का बहुत सजीव मंचन करती थीं. मोरध्वज और हरिश्चंद्र आदि के चरित्र देखकर तो लोग फूट-फूट कर रो पड़ते थे. इससे उनका विरेचन होता था और अच्छे संस्कारों का बीजारोपण भी. पुराणों की कथाओं में जीवन के प्रत्येक चरण और स्थिति में मनुष्य का क्या कर्तव्य और दायित्व है, इसका बोध बहुत सुंदर ढंग से कराया गया है. यही कारण है कि अनेक राजनैतिक झंझावातों के कारण देश की राजनैतिक और आर्थिक स्थितियाँ बदलती रहीं, लेकिन सामान्य लोगों के आचरण में इन जीवन-मूल्यों की भरपूर रक्षा हुयी.
आइये हम देखते हैं कि किस पुराण में कौन-सी कथा है :
ब्रह्म पुराण- इसमें ययाति चरित्र, सत्राजित उपाख्यान, स्यमंतक मणि प्रसंग, कपोत तीर्थ कथा, पिशाच तीर्थ कथा, गरुण तीर्थ कथा, अग्नि तीर्थ कथा, ऋण प्रमोचन तीर्थ कथा, पिप्लाला तीर्थ कथा, वराह अवतार कथा, पार्वती उपाख्यान और श्रीकृष्ण चरित्र के आख्यान शामिल हैं.
पद्म पुराण- इसमें समुद्र मंथन की बहुप्रचारित कथा के साथ ही दक्ष यज्ञ विध्वंस, पुष्कर तीर्थ कथा, नंदा धेनु-व्याघ्र की कथा, वृतासुर वध और अगस्त्य ऋषि की कथा, वामनावतार कथा, तुलाधर सत्यव्रत कथा, सुदेव चरित्र कथा, नर्मदा महात्म्य कथा, राम के अश्वमेध यज्ञ की कथा, नारद मोह, तारकासुर वध की कथा, विष्णु चरित्र, उर्वशी-पुरुरवा की कथा और शकुंतला का उपाख्यान शामिल है.
विष्णु पुराण- इसमें ध्रुव की विश्वविख्यात कथा है, जिसे प्रारम्भिक शिक्षा के पाठ्यक्रमों में भी पढ़ाया जाता रहा है. इसके अलावा, इसमें प्रह्लाद, ययाति, महाभारत, लक्ष्मी की उत्पत्ति, जड़ भरत की कथा, राजा सौवीर की कथा, मान्धाता की कथा, राजा सगर और भगीरथ की कथा, सहस्त्रार्जुन चरित्र, श्रीकृष्ण चरित्र, कंस वध, श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह, नरकासुर वध, साम्ब की कथा और यादवों के विनाश की कथाएं वर्णित की गयी हैं.
शिव पुराण- इसमें शिव चरित्र, दक्ष-यज्ञ विध्वंस की कथा, काली आख्यान, कार्तिकेय जन्म की कथा, तारकासुर वध, कामदेव के दहन की कथा, गणेश चरित्र, तुलसी और शंखचूड़ की कथा, अंधकासुर की कथा, उषा-अनिरुद्ध की कथा, दुर्वासा चरित्र, मधु-केटव वध और लिंगेश्वर महिमा की कथा कही गयी है.
श्रीमद्भागवत पुराण-इसमें शुकदेव, राजा परीक्षित, नारद के पूर्वजन की कथा, श्रीकृष्ण चरित्र से सम्बंधित विभिन्न प्रसंग, कूर्मावतार, नृसिंहअवतार, वराह अवतार, ध्रुव चत्रित्र, राजा वेन की कथा, राजा पृथु कि कथा, राजा नाभी की कथा, विदुर की कथा, राजा राम, राजा सगर की कथा, ऋषभदेव की कथा, भरत, गंगावतरण, अजामिल, दधीचि की कथा, वृतासुर वध. चित्रकेतु, गजेन्द्र मोक्ष, मोहिनी अवतार, राजा बलि की कथा, वामनावतार, मत्स्यावतार, च्यवन ऋषि, राजा अम्बरीश, मान्धाता, त्रिशंकु, राजा हरिश्चंद्र, परशुराम, ययाति, शकुंतला-दुष्यंत, मान्धाता, त्रिशंकु, परशुराम, उषा-अनिरुद्ध, राजा नृग, राजा रंतिदेव, रुकमणि स्वयम्वर, जाम्बवती-सत्यभामा, जरासंध वध, शिशुपाल वध, सुदामा, यदु वंश विनाश और श्रीकृष्ण के परमधाम गमन की कथायें शामिल हैं.
नारद पुराण- इसमें गंगावतरण की कथा प्रमुख रूप से वर्णित है.
मार्कंडेय पुराण- इसमें रामकथा, नहुष कथा, ययाति कथा, हरिश्चंद्र कथा, दत्तात्रेय अवतार कथा, मदालसा सती कथा और ऋतुध्वज तथा अलर्क की कथाएं दी गयीं हैं.
अग्नि पूर्ण- इसमें मत्स्य, कूर्म, वराह अवतारों के साथ ही राम कथा, कृष्ण कथा, महाभारत कथा तथा बुद्ध और कल्कि अवतार की कथा का वर्णन है.
भविष्य पुराण- इसमें नागपंचमी व्रत कथा और सूर्य महात्मय का वर्णन है.
ब्रह्मवैवर्त पुराण- इसमें उषा-अनिरुद्ध कथा, गंगा-विष्णु की कथा, वेदवती की कथा, तुलसी कथा, सावित्री-सत्यवान कथा, बुद्ध कथा, समुद्र मंथन कथा, पार्वती की गाथा, गजानन कथा, परशुराम कथा, तिलोत्तमा की कथा, रुक्मणि स्वयंवर की कथा और शिव-पार्वती विवाह की कथाएं हैं.
लिंग पुराण-इसमें शिवजी के 28 अवतारों का वर्णन है. इसके अतिरिक्त राजा क्षुप और दधीचि की कथा, ज्योतिष चक्त्र आख्यान, ध्रुव कथा, दक्ष कथा और त्रिपुर वध आदि की कथाएं शामिल हैं.
वाराह पुराण-इसमें गणेशजी के जन्म, नचिकेता उपाख्यान और द्वादशी महात्मय कहा का उल्लेख है.
स्कंद पुराण- इसमें दक्ष-यज्ञ विध्वंस, समुद्र मंथन, वृतुसुर वध, तारकासुर वध, पार्वती जन्म, महिषासुर वध, कामदेव दहन, पुरुरवा-उर्वशी कथा, पद्मावती कथा, मान्धाता की कथा और सत्यनारायण व्रत कथा का समावेश है.
वामन पुराण- इसमें अंधकासुर कथा, देव-दानव युद्ध, सुकेशी कथा, महिषासुर कथा, चंड-मुंड संहार, गजेन्द्र मोक्ष तथा वामन अवतार की कथाएँ दी गयी हैं.
कूर्म पुराण- इसमें कच्छप अवतार कथा, दक्ष-यज्ञ विध्वंस, श्रीकृष्ण चरित्र और व्यास-जैमिनी की कथा का उल्लेख है.
मत्स्य पुराण- इसमें मनु की कथा, पृथु की कथा, तारकासुर वध और ययाति की कथा का वर्णन है.
मत्स्य पुराण- इसमें दशावतारों की कथा और दक्ष तथा सती की कथाएं हैं.
गरुण पुराण- इसमें दशावतारों तथा दक्ष और सती की कथाएं हैं.
ब्रह्माण्ड पुराण-इसमें श्रीकृष्ण लीला, रामायण कथा, परशुराम कथा, गंगावतरण कथा, भंडासुर वध कथा ललिता देवी की कथा भी इसीमें दी गयी है.
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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