सोने से पहले क्या करें और क्या न करें- नंगे क्यों नहीं सोना चाहिए?- जानिए, इसके पीछे क्या कारण हैं -दिनेश मालवीय
अच्छी नींद का आनंद लेने और बुरे सपनों से बचने के लिए शास्त्रों और बुजुर्गों ने जो कहा है, उसकी चर्चा हम पहले कर चुके हैं. आइये अब हम बताते हैं कि हमें सोने से पहले क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए और इसके क्या लाभ हैं. हमारे पूर्वज कह गये है की सोते समय मुंह में पान नहीं रखना चाहिए. अक्सर ऐसा होता है की हम पान मुंह में रखे होते हैं और हमारी नींद लग जाती है.
इसके अलावा, सोने से पहले अपने माथे यदि तिलक लगा हो तो उसको हटा देना चाहिए. फूल आदि भी यदि सिर में लगा हो तो उसे निकाल देना चाहिए. दरअसल, सोते समय मुंह में पान ही नहीं कोई भी वस्तु रखे रहना उचित नहीं है. नींद में व्यक्ति को होश तो रहता नहीं है. ऐसी स्थिति में मुंह में रखा पान या कोई भी अन्य वस्तु सटक कर गले में अटक सकती है. लेटे होने के कारण वस्तु या उसका कोई हिस्सा सांस की नली में जा सकता है, जिससे मृत्यु तक हो सकती है.
साथ ही जीवाणुओं के संक्रमण का डर भी होता है. इसलिए कहा गया है की जूठे मुंह नहीं सोना चाहिए. ऐसे अनेक मामले देखने में आये हैं की कोई व्यक्ति तंबाकू वाला पान या गुटका मुंह में दबाया था और नींद लग गयी. रात भर में उसे कैंसर का रूप ले लिया. किसी के गले में सुपारी अटक गयी और जान के लाले पड़ गये. इसलिए सलाह दी गयी है कि सोने से पहले मुंह को साफ़ करना चाहिए. सिर पर फूल आदि रखकर सोने से उस की गंध के कारण सिरदर्द हो सकता है और उसके पराग कण में छोटे कीटाणु सांस के साथ भीतर जा सकते हैं.
कोई कीट या अंडा सांस या नाक के द्वारा दिमाग में भी जा सकता है. तिलक के विषय में भी कहा गया है कि तिलक धार्मिक महत्व की चीज है.उसकी पवित्रता बनी रहनी चाहिए. स्नान के बाद पूजा आदि के समय तिलक लगाया जाता है. तिलक धारण किये हुए सोना या मैथुन करना उसका अनादर है. इसके अलावा, तिलक का सूक्ष्म प्रभाव आज्ञा चक्र पर होता है. लेकिन सोते समय यह प्रभाव आज्ञा चक्र से मस्तिष्क में पूरी तरह शांत नहीं हो पता. नतीजतन अच्छी नींद नहीं आती या सपने आते रहते हैं.
शास्त्रों में पेट के बल सोने और नंगे होकर सोने के साथ ही दूसरे के बिस्तर, टूटी चारपाई तथा सूने घर में सोने की मनाही की गई है. इसके पीछे भी अनेक तर्क सम्मत कारण हैं. सिर को नीचे न करके सोने के लिए भी मना किया गया है. कहा गया है कि ऐसी खटिया या पलंग पर नहीं सोना चाहिए जो पर्याप्त रूप से बड़ी न हो, मैली हो या जिसमें जीव (खटमल आदि) रहते हैं.
शास्त्रों में नग्न होकर सोने की मनाही की गई है.सूने घर, देव मंदिर और शमशान में सोने को भी मन किया गया है. पेट के बल सोना सांस की व्यवस्था और पाचन दोनों के लिए नुकसानदेह होता है. ह्रदय पर भी दबाव रहने से यह ह्रदय के दीर्घकाल तक सक्रिय तथा स्वस्थ बने रहने की संभावना को कम करता है. सपने और गैस आदि के ज्यादा होने की सम्भावना भी बनी रहती है. चरक और सुश्रुत जैसे चिकित्सा-शास्त्रों में भी इसका निषेध किया गया है.
पेट के बल सोना लोक व्यवहार की दृष्टि से भी उचित नहीं है.अचानक कोई विपत्ति आ जाने की स्थिति में पेट के बल सोने वाले व्यक्ति को तेजी से उचित प्रतिक्रिया करने में देर लगती है. सीधे सोने वाले व्यक्ति को देखने वाले को उसके अचानक आँख खोल देने पर देख लिए जाने का भय भी होता है. नग्न होकर सोने में बारिश, आंधी या कोई और विपत्ति आने या चोर आ जाने अथवा आग लग जाने की स्थिति में नग्न व्यक्ति को भाग निकलने में असुविधा होती है.
किसी दूसरे के बिस्तर पर सोने के लिए इसलिए मना किया गया है कि यदि उसे कोई संक्रामक रोग हो तो वह आपको लग सकता है. ज्योतिष की दृष्टि से बिस्तर के स्वामी के गुण-दोष तथा उसके राहु और शनि ग्रहों के प्रभावों का असर होने की सम्भावना होती है. बिस्तर पर उसके आभामंडल का प्रभाव रहता है. यदि कभी किसी के बिस्तर पर सोना भी पड जाए तो चादर और तकिया अवश्य बदल लेना चाहिए.
टूटी चारपाई पर सोना दुर्भाग्य लाने वाला माना जाता है, क्योंकि चारपाई राहु की कारक वस्तु है. यह नकारात्मक प्रभाव को बढ़ाता है. इसलिए टूटी, मैली और खटमल आदि से युक्त खात पर नहीं सोना चाहिए. सूने घर, देवालय और शमशान में अकेले सोने को असुरक्षित माना जाता है. शमशान और सूने घर में नकारात्मक ऊर्जा होती है जिससे सोने वाले व्यक्ति पर बुरा असर पड़ता है. ऐसी जगहों पर उल्लू, चमगादड़, बिच्छू, सांप आदि रहने लगते हैं.
देवस्थान पर सोने से देवता का निरादर होता है. यह दुर्भाग्य बढाता है और देव शाप भी लग सकता है. कूर्मपुराण के अनुसार बांस और पलाश की लकड़ी पर नहीं सोना चाहिए. अँधेरे में और भीगे पैरों से सोने की भी मनाही है. सोने से पहले पैरों को धोकर उन्हें अच्छी तरह सुखाकर ही सोना चाहिए. अत्रि स्मृति के अनुसार इससे लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. बांस पर बैठना और सोना तथा उसे जलाना अशुभ माना जाता है.खासकर मिथुन राशि वालों को तो इससे पूरी तरह बचना चाहिए, क्योंकि बांस उसकी राशि की बनस्पति है. पलाश पूजनीय वृक्ष होता है, उसे सोने योग्य नहीं माना जाता.
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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