आजकल अल्पनिद्रा या अनिद्रा एक जटिल समस्या बन गयी है तथा जनसामान्य अंधाधुंध नींद लाने वाली औषधियों का सेवन करता जा रहा है। भारतवर्ष में भी नींद लाने वाली औषधियों की खपत बढ़ती जा रही है, जो कि एक भयावह स्थिति की सूचना देती है। अत: अनिद्रा की स्थिति में आयुर्वेदोक्त निम्न निर्देशों का लाभ उठाया जा सकता है
(क) अभ्यङ्ग- शरीर पर आयुर्वेदिक औषधीय तेल की या सामान्य तेल की मालिश करने से वायु का शमन होता है, जिससे स्वाभाविक नींद आती है।
(ख) उत्सादन–शरीर पर विभिन्न औषधियों का उबटन लगाना चाहिए।
(ग) स्नान- ऋतु के अनुसार जैसे- ग्रीष्म ऋतु में शीतल जल से तथा शीत ऋतु में उष्ण जल से स्नान करने पर भी नींद आती है।
(घ) नींद लाने वाले आहार-चावल का दही के साथ सेवन करने तथा दूध, घी आदि का सेवन करने से अच्छी नींद आती है।
(ङ) मनोनुकूल विभिन्न प्रकार के सुगंधित प्रसाधनों का सेवन करने तथा मनके अनुकूल शब्दों का श्रवण करने से नींद आती है।
(च) संवहन – शरीर को धीरे-धीरे दबाने से स्वाभाविक नींद आती है।
(छ) नेत्र तर्पण से नींद आती है।
(ज) सिर तथा मुख पर चन्दनादि सुगन्धित द्रव्यों का लेप करने (अश्वगन्धादि चूर्ण, ब्राह्मी आदिनिरापद औषधियों का सेवन इत्यादि)-से नींद आती है। (झ) सुन्दर, स्वच्छ, पवित्र एवं आध्यात्मिक स्थल जहाँ शान्ति बनी रहती हो, ऐसे स्थान पर पवित्र आसन पर शयन करने से शीघ्र ही सुखपूर्वक नींद आती है। शयन से पूर्व यथासंभव भगवत स्मरण करना भूले नहीं। अच्छे विचारों, अच्छे संकल्पों के साथ शयन कीजिए, रात्रि सुखकर होगी, प्रभात भी स्फूर्तिमय और चैतन्या से परिपूर्ण रहेगा।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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