यह जगत एक माया है, उस जादूगर का खेल है, परमात्मा की लीला है। यह तभी समझ में आता है जब वह महान जादूगर (परमात्मा) चाहता है। वरना तो इस जगत को वास्तविक समझकर हम केवल दुःखी जीवन जीते हैं।
जिस वक्त यह रहस्य प्रकट होता है कि जगत या यह संसार एक माया है तो हम उस माया में नहीं उलझते। फिर जीवन खेल बन जाता है। धूप-छाँव, दुःख-सुख का खेल, आशा-निराशा का खेल, सफलता-असफलता का खेल। सचमुच अगर खेल को खेल की तरह देखा जाए तो फिर हम उस खेल में नहीं उलझेंगे।
ईश्वर की लीला को समझने के लिए आपको अपने मानसिक दृष्टिकोण को बदलने और आध्यात्मिक दृष्टिकोण में देखने का प्रयास करना होगा। ईश्वर की लीला का अर्थ है कि जगत, जीवन, और सभी घटनाएं भगवान के खेल का हिस्सा हैं और हम उनके नियमन में हैं। यह जानने का प्रयास करें कि सभी घटनाएं, चुनौतियां, और सुख-दुख आपके आत्मा के उत्थान और विकास के लिए एक अवसर हैं।
इसके लिए निम्नलिखित कदम उपयोगकर्ता सहायक हो सकते हैं:
आध्यात्मिक अध्ययन: आध्यात्मिक ग्रंथों की पढ़ाई करें, जैसे कि भगवद गीता, उपनिषद, योग सूत्र, और वेदांत। इन ग्रंथों में ईश्वर की लीला और आत्मज्ञान के मार्ग के बारे में जानकारी होती है।
ध्यान और मेधावी: ध्यान और योग के माध्यम से अपने मन को शांति और आत्मा के प्रति जागरूक बनाने का प्रयास करें।
गुरु का मार्गदर्शन: एक आध्यात्मिक गुरु से संवाद करें और उनके मार्गदर्शन का पालन करें।
आध्यात्मिक सम्प्रेषण: अपने जीवन में आध्यात्मिक सुंदरता और आत्मज्ञान की व्यापक दृष्टिकोण लागू करें।
ध्यानपूर्वक जीवन जीना: अपने दिनचर्या में ध्यान और आध्यात्मिकता को शामिल करें। यह जीवन को जीने का एक नया तरीका प्रदान कर सकता है।
आपके दृष्टिकोण को आध्यात्मिक दिशा में बदलकर, आप ईश्वर की लीला को समझने और आत्मा के साथ अधिक जुड़ने की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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