सन् 2004 से करीब 15 करोड़, 5 लाख, 33 हजार एक सौ चार वर्ष पहले चाक्षुष मन्वन्तर में समुद्र मंथन किया गया था। पुराणों के अनुसार इस समय वर्तमान में वैवस्वत मन्वन्तर चल रहा है।
शक संवत, सन्, माह, तिथि और दिन का एक निश्चित समय होता है। इसी प्रकार एक निश्चित समय को मन्वन्तर कहते हैं। एक मन्वन्तर का समय 30 करोड़, 85 लाख, 71 हजार 428 वर्ष का होता है। जिस दिव्य पुरुष का जिस मन्वन्तर में शासन चलता है, उसी दिव्य पुरुष के नाम से उस मन्वन्तर का नाम रखा गया। जैसे चौबीस घण्टे का एक रात-दिन होता, जिसे दिन ही कहा जाता है और उनके नाम हैं रविवार, सोमवार आदि।
इस क्रम में चाक्षुष मन्वन्तर छठा मन्वन्तर है। इसके पश्चात वर्तमान वैवस्वत मन्वन्तर प्रारम्भ हो गया। इस वैवस्वत मन्वन्तर की सत्ताईस चतुर्युगी बीत गई और अब इस समय अट्ठाइसवें चतुर्युगी के कलयुग का यह प्रथम चरण चल रहा है। सन् 2022 तक कलयुग के 5126 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं।
प्रायः महत्त्वपूर्ण घटनाएँ युग या मन्वन्तर के अन्तिम चरण में होती रही हैं। यदि हम समुद्र-मंथन की घटना को चाक्षुष मन्वन्तर के अन्तिम चरण में मान लेते हैं तो भी आज के वर्ष सन् 2022 से 15 करोड़, 5 लाख, 33 हजार, एक सौ 22 वर्ष पूर्व समुद्र-मंथन घटना घटित हुई थी।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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