 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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पाचक अग्नि की मंदता को ही मंदाग्नि कहते हैं. आहार को पचाने में पाचक अग्नि का महत्वपूर्ण स्थान है. जब यह अग्नि किसी कारणवश मंद या धीमी हो जाती है तो पाचन क्षमता में कमी आ जाती है, यही मंदाग्नि है जिससे तरह-तरह के पेट के रोग जन्म लेते हैं.
भूख न लगना, पेट में गैस, जलन, जी मिचलाना आदि इसके लक्षण हैं. इस रोग में निम्न नुस्खे लाभदायक होते हैं.
■ सोंठ, जीरा, अजवाइन और काली मिर्च 2-2 ग्राम, भुनी हुई हींग तथा पीपल 1-1 ग्राम लेकर बारीक चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को एक ग्राम की मात्रा में मट्ठे में मिलाकर नियमित पीने से मंदाग्नि की शिकायत दूर होती है और भूख खुलकर लगती है.
■ अदरक का रस, नींबू का रस और सेंधा नमक एक साथ मिलाकर भोजन के प्रारंभ में नियमित सेवन करने से मंदाग्नि का शमन होता है और पाचन अग्नि बढ़ती है.
■ काली मिर्च, चित्रक और काले नमक का चूर्ण छाछ में मिलाकर पीने से मंदाग्नि में फायदा होता है.
■ सौठ 10 ग्राम, काली मिर्च 10 ग्राम, पीपर 10 ग्राम और सेंधा नमक 10 ग्राम सभी को कूटकर कपड़े में छानकर चूर्ण बना लें. फिर इसमें 400 ग्राम काली द्राक्ष (बीज निकाला हुआ) मिलाएं और चटनी की तरह पीसकर कांच के बर्तन में भरकर रख दें. 5 से लेकर 15 ग्राम तक इस चूर्ण का सुबह-शाम सेवन करें. यह मंदाग्नि के लिए उत्तम नुस्खा है.
 
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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