Balaram Jayanti 2023: सनातन शास्त्रों में निहित है कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को बलराम का जन्म हुआ है।
2023 में बलराम जयंती 5 सितंबर को मनाई जाएगी। बलराम जयंती भगवान बलराम के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है। इस दिन कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि होती है, और यह भाद्रपद मास में आता है।
जैसा कि सभी जानते है, बलराम कौन थे, बलराम भगवान श्री कृष्ण के भाई थे, और साथ ही बलराम शेषनाग के अवतार थे, त्रेता योग अर्थात भगवान राम के समय बलराम राम के भाई लक्ष्मण के अवतार थे | एक जन्म में बलराम कृष्णा के बड़े भाई थे और वहीँ दूसरे जन्म में बलराम राम के छोटे भाई के रूप में आए |
जैसा कि भगवान कृष्णा और राम, भगवान विष्णु का ही स्वरुप है, और बलराम और लक्ष्मण, शेषनाग का स्वरुप है | एक बार भगवान विष्णु से शेष नाग नाराज हो गए और कहा की भगवान में आपके चरणों में रहता हूँ, मुझे थोड़ा सा भी विश्राम नहीं मिलता | आप कुछ ऐसा करो के मुझे भी विश्राम मिले | तब भगवान विष्णु ने शेषनाग को वरदान दिया की आप द्वापर में मेरे बड़े भाई के रूप में जन्म लोगे, तब मैं आपसे छोटा रहूंगा | तब से बलराम जयंती मनाई जाती है |
बलराम जयंती का महत्व-
बलराम जयंती का महत्व है क्योंकि इसे भगवान बलराम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतारों में से एक हैं। बलराम जी भगवान कृष्ण के बड़े भाई थे और उनके साथ बचपन में खेलते थे। उनका जन्म भगवान बलराम की भक्ति और भगवान कृष्ण के साथ के प्यार को याद करने का अवसर होता है।
बलराम जयंती की पूजा विधि-
पूजा सामग्री की तैयारी: पूजा की तैयारी के लिए बलराम जी की मूर्ति, फूल, फल, दीपक, धूप, अगरबत्ती, अक्षत, गंध, सिंदूर, मिश्री, और पूजा के लिए कपड़े की आवश्यकता होती है।
पूजा स्थल की तैयारी: एक शुद्ध और पवित्र स्थल पर पूजा की तैयारी करें, जहां आप बलराम जी की मूर्ति को सजाकर रखें।
पूजा आरंभ: पूजा की तिथि के दिन सुबह को पूजा की शुरुआत करें। बलराम जी की मूर्ति को सजाकर पूजें।
पूजा अर्चना: मूर्तियों को धूप, दीपक, अगरबत्ती, फूल, दाना, अक्षत, दूध, दही, गंध, सिंदूर, मिश्री, और फल के साथ पूजें।
मंत्र जाप: बलराम जी के मंत्रों का जाप करें, जैसे कि "ॐ बलभद्राय नमः" या "ॐ राम बलाय नमः"।
कथाकथन: बलराम जयंती के दिन उनके जीवन की कथा कथन करें, और उनके अवतार के महत्व को समझाएं।
प्रसाद: पूजा के बाद, पूजा सामग्री को प्रसाद के रूप में भक्तों को बांटे।
व्रत का खाना: व्रत के दिन विशेषकर दूध, दही, फल, और पानी का सेवन करें। व्रत के दिन विशेष रूप से शांति और पवित्रता में ध्यान दें।
शुभ मुहूर्त: बलराम जयंती की पूजा का समय सुबह को होता है, और भक्तगण इसे विशेष ध्यान और भक्ति के साथ करते हैं।
इस पावन दिन को भगवान बलराम की पूजा और भक्ति के साथ मनाकर आप उनके आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को धार्मिक और सफल बना सकते हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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