कुछ व्यक्तियों को अत्यधिक परिश्रम के बाद आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिल पाती है और कुछ की थोडी सी मेहनत ही ऎसा रंग लाती है कि प्राप्त सफलता पर उसे स्वयं विश्वास नहीं होता है|
आजीविका के क्षेत्र में सफलता व उन्नति प्राप्त करने के लिए व्यक्ति में अनेक गुण होने चाहिए, सभी गुण एक ही व्यक्ति में पाये जाने संभव नहीं है| किसी के पास एबिलिटी है तो किसी व्यक्ति के पास अनुभव पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है|
कोई व्यक्ति अपने आजीविका क्षेत्र में इसलिये सफल है कि उसमें स्नेह पूर्ण व सहयोगपूर्ण व्यवहार है| कोई अपनी वाक् शक्ति के बल पर आय प्राप्त कर रहा है तो किसी को अपनी कार्यनिष्ठा के कारण सफलता की प्राप्ति हो पाई है| अपनी कार्य शक्ति व दक्षता के सर्वोतम उपयोग करने पर ही इस गलाकाट प्रतियोगिता में आगे बढ़ने का साहस कर सकता है|
आईये देखे की ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कौन से ग्रह से व्यक्ति में किस गुण का विकास होता है|
जॉब या बिजनेस का चयन व्यक्ति अपनी एबिलिटी के आधार पर करता है। सफलता भी इंसान की एबिलिटी और उसकी मेहनत पर निर्भर होती है।
मेहनती और पढ़े-लिखे होने के साथ यदि आप ज्योतिष के आधार पर यह जानना चाहें कि आपका कार्य क्षेत्र कौन सा होगा अर्थात कैसी जॉब मिलेगी, इन योगों के आधार पर समझ सकते हैं-
आजीविका का निर्धारण व्यक्ति की एबिलिटी शिक्षा, अनुभव से तो होता ही है, उसकी कुंडली में बैठे ग्रह भी प्रभाव डालते हैं। चंद्र, सूर्य या लग्न इनमें से जो भी ग्रह कुंडली में अधिक बली होता है, उससे दशम भाव में जो भी राशि(जोडिएक साइन) पड़ती है, उस राशि(जोडिएक साइन) का स्वामी जिस नवमांश में है, उस राशि(जोडिएक साइन) के स्वामी ग्रह के गुण, स्वभाव तथा साधन से जातक धन प्राप्त करता है।
जैसे- दशम भाव की राशि(जोडिएक साइन) का स्वामी नवमांश में यदि कर्क राशि(जोडिएक साइन) में स्थित है, तो व्यक्ति चंद्र ग्रह से संबंधित कार्य करेगा। ऐसा भी हो सकता है कि दशम भाव में कोई ग्रह नहीं हो, तो दशमेश ग्रह के अनुसार व्यक्ति बिजनेस करेगा। साथ बैठे अन्य ग्रह(प्लेनेट्स) का प्रभाव भी व्यक्ति के बिजनेस पर पड़ना संभव है।
ज्योतिष विधान के अनुसार कारकांश से तीसरे, छठे भाव में अगर पाप ग्रह स्थित हैं या उनकी दृष्टि है तो इस स्थिति में कृषि और कृषि सम्बन्धी कारोबार में आजीविका का संकेत मानना चाहिए|कारकांश कुण्डली(होरोस्कोप) में चौथे स्थान पर केतु व्यक्ति मशीनरी का काम में सफल होता है|
राहु इस स्थान पर होने से लोहे से कारोबार में कामयाबी मिलती है|कारकांश कुण्डली(होरोस्कोप) में चन्द्रमा अगर लग्न स्थान से पंचम स्थान पर होता है और गुरु एवं शुक्र से दृष्ट या युत होता है तो यह लेखन एवं कला के क्षेत्र में उत्तमता दिलाता है|
कारकांश में लग्न से पंचम स्थान पर मंगल होने से व्यक्ति को कोर्ट कचहरी से संबंधित मामलों कामयाबी मिलती है| कारकांश कुण्डली(होरोस्कोप) के सप्तम भाव में स्थित होने से व्यक्ति शिल्पकला में महारत हासिल करता है और इसे अपनी आजीविका बनाता है तो कामयाब भी होता है|
करकांश में लग्न से पंचम स्थान पर केतु व्यक्ति को गणित का ज्ञाता बनाता है| सफलता किसके चरण चूमती है| और कब कोई उन्नति के शिखर पर पहुंचता है| इससे ज्योतिष से सरलता से ज्ञात किया जा सकता है| इसमे उन्नति के समय का निर्धारण किया जाता है|
जन्म कुंडली(होरोस्कोप) जीवन की सभी रचनाओं का चित्र है| मोटी मोटी बातों को जानने के लिये जन्म कुण्डली को देखने से प्रथम दृष्टि में ही जानकारी हो जाती है|
सूक्ष्म अध्ययन के लिये नवमांश कुंडली(होरोस्कोप) को देखा जाता है| बिजनेस में उन्नति के काल को निकालने के लिए दशमांश कुंडली(होरोस्कोप) की विवेचना भी उतनी ही आवश्यक हो जाती है | इन तीनों कुण्डलियों में दशम भाव दशमेश का सर्वाधिक महत्व है |
तीनों वर्ग कुण्डलियों से जो ग्रह दशम/एकादश भाव या विदेश विशेष संबंध बनाते है| उन ग्रह(प्लेनेट्स) की दशा, अन्तर्दशा में उन्नति मिलने की संभावना बनती है | कुण्डलियों में बली ग्रह(प्लेनेट्स) की व शुभ प्रभाव के ग्रह(प्लेनेट्स) की दशा में भी प्रमोशन मिल सकता है| एकादश घर को आय की प्राप्ति का घर कहा जाता है| इस घर पर उच्च के ग्रह का गोचर बेनिफिट देता है|
पद लग्न वह राशि(जोडिएक साइन) है जो लग्नेश से ठीक उतनी ही दूरी पर स्थित है| जितनी दूरी पर लग्न से लग्नेश है| पद लग्न के स्वामी की दशा अन्तर्दशा या दशमेश/ एकादशेश का पद लग्न पर गोचर करना उन्नति के संयोग बनाता है| पद लग्न से दशम / एकादश भाव पर दशमेश या एकादशेश का गोचर होने पर भी बेनिफिट प्राप्ति की संभावना बनती है|
ज्योतिष महर्षि पराशर के अनुसार लग्नेश, दशमेश व उच्च के ग्रह(प्लेनेट्स) की दशाएं व्यक्ति को सफलता देती है| इन दशाओं का संबंध बिजनेस के घर या आय के घर से होने से आजीविका में वृद्धि होती है| इन दशाओं का संबंध यदि सप्तम या सप्तमेश से हो जाये तो सोने पे सुहागे वाला फल समझना चाहिए |
जन्म कुंडली के दसवें घर का स्वामी नवमांश कुंडली(होरोस्कोप) में जिस राशि(जोडिएक साइन) में जाये उसके स्वामी के अनुसार व्यक्ति का बिजनेस व उसपर बली ग्रह की दशा/ गोचर उन्नति के मार्ग खोलता है|
इन ग्रह(प्लेनेट्स) की दशा में व्यक्ति को अपनी मेहनत में कमी न करते हुए अधिक से अधिक बेनिफिट प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए| उन्नति के समय में आलस्य व्यक्ति को मिलने वाले शुभ फलों में कमी का कारण बन सकता है|
उपरोक्त चार नियमों का अपना विशेष महत्व है| पर इच्छित फल पाने के लिये गोचर का सहयोग भी लेना आवश्यक है| कुंडली(होरोस्कोप) में उन्नति के योग हो, पद लग्न पर शुभ प्रभाव हो, दसवें घर व ग्यारहवें घर से जुड़ी दशाएं हो व गुरु शनि का गोचर हो तो व्यक्ति को मिलने वाली उन्नति को कोई नहीं रोक सकता है|
इन योग के अलावा उक्त बातों का भी रखें ध्यान—
काम छोटा हो या बड़ा हो, उसे करने का तरीका सबका एक समान हों यह आवश्यक नहीं, प्रत्येक व्यक्ति कार्य को अपनी एबिलिटी के अनुसार करता है| जब किसी व्यक्ति को अपने कामकाज की अच्छी समझ न हों तो उसे कार्यक्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड सकता है|
व्यक्ति के कार्य को उत्कृष्ट बनाने के लिये ग्रह(प्लेनेट्स) में गुरु ग्रह को देखा जाता है| कुंडली(होरोस्कोप) में जब गुरु बली होकर स्थिति ह तथा वह शुभ ग्रह(प्लेनेट्स) के प्रभाव में हों तो व्यक्ति को अपने क्षेत्र का उत्तम ज्ञान होने की संभावनाएं बनती है |
गुरु जन्म कुंडली(होरोस्कोप) में नीच राशि(जोडिएक साइन) में (Guru in Neech Rashi), वक्री या अशुभ ग्रह(प्लेनेट्स) के प्रभाव में हों तो व्यक्ति में कामकाज की जानकारी संबंधी कमी रहने की संभावना रहती है| सभी ग्रह(प्लेनेट्स) में गुरु को ज्ञान का कारक ग्रह कहा गया है|
गुरु ग्रह व्यक्ति की स्मरण शक्ति को प्रबल करने में भी सहयोग करता है| इसलिये जब व्यक्ति की स्मरण शक्ति अच्छी होने पर व्यक्ति अपनी एबिलिटी का सही समय पर उपयोग कर पाता है|
किसी भी व्यक्ति में कार्यक्षमता का स्तर देखने के लिये कुंडली(होरोस्कोप) में शनि की स्थिति देखी जाती है | कुंडली(होरोस्कोप) में शनि दशम भाव से संबंध रखते हों तो व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में अत्यधिक कार्यभार का सामना करना पड सकता है|
कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति में उत्तम एबिलिटी होती है| परन्तु उसका कार्य में मन नहीं लगता है| इस स्थिति में व्यक्ति अपनी एबिलिटी का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाता है| या फिर व्यक्ति का द्वादश भाव बली हों तो व्यक्ति को आराम करना की चाह अधिक होती है| जिसके कारण वह आराम पसन्द बन जाता है| इस स्थिति में व्यक्ति अपने उत्तरदायित्वों से भागता है|
यह जिम्मेदारियां पारिवारिक, सामाजिक व आजीविका क्षेत्र संबंधी भी हो सकती है| शनि बली स्थिति में हों तो व्यक्ति के कार्य में दक्षता आती है|
जन्म कुंडली(होरोस्कोप) के अनुसार व्यक्ति में कार्यनिष्ठा का भाव देखने के लिए दशम घर से शनि का संबंध देखा जाता है | अपने कार्य के प्रति अनुशासन देखने के लिये सूर्य की स्थिति देखी जाती है| शनि व सूर्य की स्थिति के अनुसार व्यक्ति में अनुशासन का भाव पाया जाता है| शनि व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग बनाता है|
कुंडली(होरोस्कोप) में शनि जब बली होकर स्थित होने पर व्यक्ति अपने कार्य को समय पर पूरा करने का प्रयास करता है|
कई बार व्यक्ति एबिलिटी भी रखता है उसमें दक्षता भी होती है| परन्तु वह अपने कठोर व्यवहार के कारण व्यावसायिक जगत में अच्छे संबंध नहीं बना पाता है| व्यवहार में मधुरता न हों तो कार्य क्षेत्र में व्यक्ति को टिक कर काम करने में दिक्कत होती है|
चन्द्र या शुक्र कुंडली में शुभ भावों में स्थित होकर शुभ प्रभाव में हों तो व्यक्ति में कम एबिलिटी होने पर भी उसे सरलता से सफलता प्राप्त हो जाती है| अपनी स्नेहपूर्ण व्यवहार के कारण वह सबका शीघ्र दिल जीत लेता है| बिगड़ी बातों को सहयोगपूर्ण व्यवहार से संभाल लेता है| चन्द्र पर किसी भी तरह का अशुभ प्रभाव होने पर व्यक्ति में सहयोग का भाव कम रहने की संभावनाएं बनती है|
आज के समय में सफलता प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को कंप्यूटर जैसे: यन्त्रों का ज्ञान होना भी जरूरी हो| किसी व्यक्ति में यन्त्रों को समझने की कितनी एबिलिटी है| यह गुण मंगल व शनि का संबंध बनने पर आता है| केतु को क्योकि मंगल के समान कहा गया है|
इसलिये केतु का संबंध मंगल से होने पर भी व्यक्ति में यह एबिलिटी आने की संभावना रहती है| इस प्रकार जब जन्म कुंडली(होरोस्कोप) में मंगल, शनि व केतु में से दो का भी संबंध आजीविका क्षेत्र से होने पर व्यक्ति में यन्त्रों को समझने की एबिलिटी होती है!
बुध जन्म कुंडली(होरोस्कोप) में सुस्थिर बैठा हों तो व्यक्ति को बिजनेस के क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है| इसके साथ ही बुध का संबंध दूसरे भाव / भावेश से भी बन रहा हों तो व्यक्ति की वाक शक्ति उत्तम होती है|
वाक शक्ति प्रबल होने पर व्यक्ति को इस से संबंधित क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में सरलता रहती है|
इन उपायों से होगा बेनिफिट —
शनिवार का दिन छोड़कर किसी भी दूसरे दिन एक पीपल का पत्ता लेकर गंगाजल से धोकर उस पर केसर से तीन बार ऊँ नमो: भगवते वासुदेवाय नमः लिखकर पत्ते को पूजा स्थल पर रख लें। इसकी रोज पूजा करें व धूप-दीप दिखाएं।
21 दिन बाद यह पत्ता ले जाकर अपने बिजनेस -बिजनेस स्थल या ऑफिस में किसी ऐसी जगह रखें जहां किसी की नजर इस पर न पड़े। आपका बिजनेस लगातार उन्नति करने लगेगा।
श्याम तुलसी के पौधे के पास उगे हुए घास को गुरुवार के दिन लेकर पीले वस्त्र में बांध दें। इसके बाद इस वस्त्र पर सिंदूर लगाएं और लक्ष्मी माता का ध्यान करके इसे बिजनेस स्थल पर रख दें। बिजनेस में उन्नति के लिए गुरुवार के दिन केले की जड़ को पीले वस्त्र में लपेटकर बिजनेस स्थल में रखना भी बेनिफिट प्रद होता है।
गल्ले या तिजोरी में कुबेर यंत्र अवश्य रखें जिससे कि आपके बिजनेस में उन्नति होती रहे।
बिजनेस में घाटा होने लगा है तो इस संकट से निकलने के लिए शुक्ल पक्ष में किसी शुक्रवार के दिन तांबे के बर्तन में ऐश्वर्य लक्ष्मी यंत्र की स्थापना करें। इस यंत्र को गंगा जल से स्नान कराएं और सिंदूर लगाएं। लाल फूलों से इस यंत्र की पूजा करें। इससे जाती लक्ष्मी ठहर जाएगी।
इससे बिजनेस में होने वाला नुकसान रूक जाएगा लेकिन बिजनेस में उन्नति के लिए लगातार 11 दिनों तक ‘ओम वं व्यापार वर्धय शिवाय नमः’ का 11 बार जप करें। बारहवें दिन ऐश्वर्य लक्ष्मी यंत्र को नदी में विसर्जित दें।
यदि आप अपना ट्रांसफर किसी इच्छित स्थान पर कराना चाहते हैं तो सोते समय अपना सिरहाना दक्षिण की ओर रखें। तांबे के दो पात्र लें।
एक में जल के साथ बिल्वपत्र व गुड तथा दूसरे में जल व 21 मिर्च के दाने डालकर सूर्यदेव को अर्पित करें और इच्छित स्थान के लिए प्रार्थना करें।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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