 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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मकर संक्रांति के मौके पर एक चीज देशभर में प्रचलित है और वो हैं तिल और तिल के लड्डू। देशभर में लोग इस दिन तिल के लड्डू और तिल के अन्य व्यंजन बनाए जाते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू बनाकर खाने की परंपरा क्यों है।
चलिए इसका जवाब खोजते हैं, लेकिन इसके लिए हमें इसकी पौराणिक कथा को भी जानना होगा।
पौराणिक कथाओं पर नजर डालें तो पाएंगे कि एक बार सूर्यदेव अपने पुत्र शनि से काफी नाराज थे और गुस्से में आकर उन्होंने शनि के घर में आग लगा दी थी। कुम्भ राशि शनि का निवास स्थान है। जब शनि ने क्षमायाचना कर सूर्यदेव की उनकी पूजा-अर्चना की तो सूर्यदेव का क्रोध शांत हुआ। तब पुत्र शनि पर दया करते हुए सूर्य ने कहा कि हर वर्ष जब वे शनि के दूसरे भाव मकर राशि में आएंगे तो वे शनि के घर को धन, धान्य और सुख-समृद्धि से भर देंगे।
मकर राशि में आने पर जब सूर्यदेव शनि के घर पहुंचे तो शनि ने तिल और गुड़ से पिता सूर्य की पूजा की और उन्हें भोग लगाया। भगवान सूर्य अपने पुत्र द्वारा तिल और गुड़ के उपहार से बहुत प्रसन्न हुए और भगवान शनि से कहा कि जो कोई भी मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ से मेरी पूजा करेगा, उस पर शनि सहित मेरी कृपा होगी।
उस घटना के बाद से मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ खाने की परंपरा चली आ रही है। अगर स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा भी जाए तो मकर संक्रांति सर्दियों के मौसम में आती है। तिल और गुड़ की तासीर गर्म होती है इसलिए इस त्योहार में तिल और गुड़ खाने की परंपरा है क्योंकि ये शरीर में गर्मी लाते हैं।
वहीं तिल को शनि का और गुड़ को सूर्य का प्रतीक माना जाता है। इसी कारण मकर संक्रांति में काले तिल का विशेष महत्व होता है। काले तिल से सूर्य और शनि की पूजा करनी चाहिए।
 
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