ज्यादातर मनुष्य इस तरह से जीवन जी रहे हैं कि जैसे जीना कोई मजबूरी हो। बस जैसे तैसे ज़िन्दगी की गाड़ी खींचे जा रहे हैं। सुबह से शाम तक एक रुटीन के अनुसार जीवन जी रहे हैं, रोज़मर्रा के ढर्रे में ढली हुई ज़िन्दगी जी रहे हैं पर कभी इस मुद्दे पर शायद ही विचार करते हों कि आखिर हमारी ज़िन्दगी के इस सफ़र की मंज़िल क्या है? इस जीवन का ध्येय क्या है? हम इस ज़िन्दगी में आये क्यों हैं? हमें जाना कहां है और हम जा कहां रहे हैं? बस, यूं ही चले जा रहे हैं, चले जा रहे हैं!
ज्यादातर मनुष्य जीवन को मजबूरी की तरह जी रहे हैं और जैसे तैसे जीने के लिए खुद को मनाना पड़ता है। आप यह कह रहे हैं कि लोग रोजमर्रा के ढर्रे में ढली हुई जिंदगी जी रहे हैं, लेकिन उनके पास इस मुद्दे पर सोचने का समय नहीं होता है कि वास्तव में उनकी ज़िंदगी का मकसद क्या है, और इस यात्रा का अंत क्या होगा। हम इस ज़िंदगी में क्यों आए हैं, हमें कहां जाना है और हम कहां रह रहे हैं।
इस विषय पर विचार करना और अपने जीवन के मकसद और उद्देश्य के बारे में सोचना मानवीय विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह विचार किसी एक व्यक्ति या समूह के लिए ही सीमित नहीं होता है, बल्कि यह मानव सभ्यता के सभी व्यक्तियों को प्रभावित करता है। यह एक मानवीय सवाल है जिसका उत्तर हर व्यक्ति अपने आप में ढूंढने की कोशिश करता है।
जीवन का ध्येय व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकता है। हर व्यक्ति अपने अंतर्निहित मानसिक, आध्यात्मिक, सामाजिक और पारिवारिक मान्यताओं और संघर्षों से प्रभावित होता है। यह किसी भी धर्म, दार्शनिक संप्रदाय या सामाजिक समूह के अनुसार भी भिन्न हो सकता है। ध्येय की प्राप्ति व्यक्ति के स्वार्थ, सुख, सामूहिक कल्याण, पृथ्वी के साथी जीवों के प्रति दया और अन्य अनुभूति आधारित उद्देश्यों पर निर्भर करती है।
कई धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं में मान्यता है कि मनुष्य इस जगत में एक अवसर के रूप में आता है, और इस अवसर का उपयोग करके वह अपने आप को समृद्ध, संतुष्ट, आनंदमय और सभी संघर्षों को पार करने के लिए तैयार कर सकता है। इस प्रकार, जीवन का ध्येय व्यक्ति के अन्तर्निहित ब्रह्म या आत्मा के साथ संयोजन को प्राप्त करने में समाहित हो सकता है।
जीवन की मंजिल और यात्रा का अंत व्यक्ति के आपेक्षिक मानसिक, आध्यात्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण पर निर्भर करेगा। कुछ लोग मानते हैं कि जीवन की मंज़िल आध्यात्मिक प्रगति, मुक्ति या मोक्ष हो सकती है, जबकि दूसरे इसे संतुष्टि, सामरिक सफलता, उपभोग और सामाजिक पहचान के रूप में व्याख्या कर सकते हैं।
व्यक्ति की यात्रा और ध्येय उसकी स्वतंत्रता, विचारशीलता और जागरूकता पर निर्भर करेगा। ज्ञान, संदेश, गुरुत्व, स्वयं-सम्मान और सत्यापन के माध्यम से व्यक्ति अपने ध्येय को खोज सकता है और उसे अपनी यात्रा के दौरान निरंतर मेंढ़ सकता है। जीवन की गहराइयों, प्रश्नों और उत्तरों को अन्वेषण करना मनुष्य का अद्वितीय गुण है, और इसके माध्यम से हम अपने जीवन को सार्थक और आनंदमय बना सकते हैं।
इसलिए, यदि आप अपनी ज़िंदगी के वास्तविक मकसद और ध्येय के बारे में सोचना चाहते हैं, तो अपने अंतर्निहित मानसिक संघर्षों, आध्यात्मिकता, स्वास्थ्य, परिवार, सामाजिक संप्रदाय, पृथ्वी के साथी जीवों के प्रति दया, सेवा और व्यक्तिगत प्रगति के बारे में विचार करें।
अपने आप को पहचानें, अपने संघर्षों और समस्याओं को समझें, और आपके अंतर्निहित धर्म, आध्यात्मिकता और मूल्यों के साथ एक व्यापक और संतुलित जीवन का निर्माण करें। यह आपको अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण बनाने और आनंद और संतुष्टि का अनुभव करने में मदद करेगा।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024