अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा क्यों होता है? वहीं जो लोग बुरे कर्म करते हैं और अज्ञान की राह पर होते हैं वो खुशहाल दिखते हैं। श्रीकृष्ण ने इसका जवाब गीता में दिया है।
गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इस प्रश्न का उत्तर दिया है, जो हमें जीवन में आने वाली दुःखों और संघर्षों को समझने में मदद करता है।
गीता के अध्याय 2 में, अर्जुन का यह प्रश्न है कि अच्छे लोग जो धार्मिक और नेक होते हैं, उन्हें क्यों भी बुरी घटनाएं या संघर्ष से गुजरना पड़ता है। और कुछ लोग जो पापी होते हैं, वे खुशहाल और सुखी क्यों रहते हैं।
श्रीकृष्ण ने इस प्रश्न का समाधान किया और अर्जुन को समझाया कि जीवन में सुख और दुःख दोनों का होना स्वाभाविक है। यह जन्म-मृत्यु का नियम है और इसमें कोई संदेह नहीं है। व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उसका भाग्य बनता है, और धार्मिकता और नेकी के फलस्वरूप अच्छे लोगों को भी कठिनाइयां और परेशानियां आ सकती हैं।
श्रीकृष्ण ने अर्जुन से अपने कर्म करने का उपदेश दिया और उन्हें बताया कि धर्मपरायण होने पर उसे अपने कर्मों का पलंग सजाना चाहिए, और फल की चिंता न करके निष्काम भाव से कर्म करना चाहिए। इस तरह कर्म करने से मनुष्य सुखी और समृद्ध होता है, भले ही उसे विभिन्न प्रकार की परेशानियों से गुजरना पड़े।
इस उपदेश का मुख्य अर्थ है कि हमें अपने कर्मों का उचित पालन करना चाहिए और फल की आकांक्षा को छोड़कर कर्म धार्मिकता और सच्चे भावना से करना चाहिए। यह हमें वास्तविक सुख, शांति, और आनंद की प्राप्ति के मार्ग में मदद करता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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