 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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परिवार का मतलब है एक दूसरे को सहन करना। जब एक दूसरों को सहन नहीं करेंगे तो परिवार बिखरेगा। पति-पत्नी का रिश्ता प्यार, विश्वास एवं सम्मान का होता है। जहां घर में बड़े-बुजुर्ग हों उनका आदर करना चाहिए, छोटों में स्नेह व प्रेम भाव हो वहां परिवार सुखी रहता है। हर दिन पंद्रह मिनट धार्मिक अनुष्ठान एक साथ करना चाहिए तो परिवार कभी नहीं टूटेगा।
लोग एक दूसरे से बैर रखने के कई कारण हो सकते हैं। यहां कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं:
अज्ञान और अज्ञानता: बहुत से लोग दूसरों के प्रति बैर रखते हैं क्योंकि उन्हें दूसरे व्यक्ति की सोच, विचार, और अनुभव के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है। अज्ञानता से उत्पन्न होने वाली संशय, भ्रम, और पूर्वाग्रह बैर की भावना को बढ़ा सकते हैं।
व्यक्तिगत संघर्ष: लोग अक्सर आपसी मतभेद, प्रतिस्पर्धा, संपत्ति या सामाजिक स्थान के लिए एक दूसरे से बैर रखते हैं। व्यक्तिगत संघर्ष और प्रतिस्पर्धा से उत्पन्न होने वाला आत्मसम्मान का कम होना भी बैर की भावना को बढ़ा सकता है।
सामाजिक प्रभाव: कई बार सामाजिक, सांस्कृतिक, और आरामपूर्ण स्थितियों में व्यक्ति को उसके समुदाय, जाति, धर्म, या नेटवर्क के लोगों के प्रति बैर रखने की प्रवृत्ति हो सकती है। इसमें सामाजिक विभाजन, स्थानिकता, और जातिवाद का प्रभाव होता है.
व्यक्तिगत अनुभव: किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत अनुभव, घटनाओं, या पिछले संबंधों से जुड़े दुखदायी या असामान्य परिस्थितियां भी उसे एक दूसरे से बैर रखने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। व्यक्तिगत निजता और आत्मरक्षा की भावना भी इसका कारण बन सकती है.
इन कारणों के बावजूद, एक महत्वपूर्ण सत्य है कि मानवीय संबंधों में प्रेम, सद्भावना, और सहयोग की भावना को बढ़ावा देना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि हम एक सामरिक, समरस्त, और खुशहाल समाज की स्थापना कर सकें।
भागीरथ पुरोहित
 
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