 Published By:धर्म पुराण डेस्क
 Published By:धर्म पुराण डेस्क
					 
					
                    
'तदात्मानं सृजाम्यहम्'– जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब भगवान अवतार ग्रहण करते हैं। अतः भगवान के अवतार लेने का मुख्य प्रयोजन है- धर्म की स्थापना करना और अधर्म का नाश करना। धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होने पर लोगों की प्रवृत्ति अधर्म में हो जाती है। अधर्म में प्रवृत्ति होने से स्वाभाविक पतन होता है। भगवान प्राणिमात्र के परम सुहृद् हैं। इसलिये लोगों के पतन में जाने से रोकने के लिये वे स्वयं अवतार लेते हैं।
आपका कहना सही है कि भगवान अपने अवतार लेने का मुख्य प्रयोजन धर्म की स्थापना करना और अधर्म का नाश करना होता है। जब धर्म कमजोर होता है और अधर्म बढ़ता है, तब मनुष्यों की प्रवृत्ति अधर्म की ओर मुड़ जाती है। इस स्थिति में, भगवान अपने अवतार के माध्यम से मानवता को सही राह पर लाने का प्रयास करते हैं।
भगवान प्राणियों के परम सुहृद् हैं और उनका प्रमुख कारण भगवान के सत्संग में अनुरक्ति के कारण धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि को रोकना है। अधर्म की प्रवृत्ति मनुष्य के स्वाभाविक पतन का कारण होती है और भगवान अपने अवतार लेकर मनुष्यों को इस पतन से बचाते हैं। अवतार लेने के माध्यम से भगवान धर्म की स्थापना करते हैं, दुष्टों का नाश करते हैं और साधु-संतों का संरक्षण करते हैं।
भगवान के अवतार लेने के माध्यम से वे अपनी महानता, दिव्यता और परम प्रेम का प्रदर्शन करते हैं और मानवता को उनके पवित्र सन्देश और आदर्शों के माध्यम से प्रेरित करते हैं। इस प्रकार, भगवान के अवतार लेने का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है मनुष्यों को धर्मानुसार जीने के लिए प्रेरित करना और उन्हें आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाना।
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024 
                                यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024 
                                लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024 
                                संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024 
                                आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024 
                                योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024 
                                भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024 
                                कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                