मृत्यु से सभी डरते हैं। शायद ही कोई ऐसा प्राणी होगा जिसे से भय नहीं मृत्यु लगता हो। इसके कई कारण हो सकते हैं। हम इसी पर चर्चा करेंगे।
सबसे पहली बात तो यह होती है कि मृत्यु के बारे में किसी को सही ज्ञान नहीं होता है। अतः मृत्यु से लोग डरते हैं।
इस दुनिया में जन्म के बाद ही इंसान मोह-माया में पड़ जाता है। उसे लगता है कि मेरे मर जाने के बाद क्या होगा। उसे मोह-माया, भोग-विलास को छोड़कर जाने का दुःख होता है।
इस कारण से मनुष्य दुःखी होता है। यह ध्यान देने वाली बात है कि सभी प्रकार के भय व दुःख से यह भय व दुःख काफी गंभीर होता है। क्योंकि इसी के साथ व्यक्ति का पूरा जीवन व्यतीत होता है।
मनुष्य अपने जीवन में जिस प्रकार का कर्म करता है, उसे उसी प्रकार का फल भी प्राप्त होता है। मनुष्य को अपने कर्मों का हिसाब-किताब भगवान के घर में देना होता है। अतः मनुष्य यह सोचकर भी मृत्यु से डरता है कि आखिर उसके साथ क्या होगा।
मनुष्य जब तक जीवित रहता है तब तक को वह अपने भूत-वर्तमान भविष्य की चिंता करता है। लेकिन इन तीनों कालों में से सबसे ज्यादा उसे भविष्य काल की चिंता रहती है। उसे इस बात का भी भय रहता है। कि पता नहीं उसका जन्म कहां और किस स्थिति में होगा। उसे अकेलेपन का भी भय सताता रहता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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