Published By:धर्म पुराण डेस्क

सनातन धर्म में हवन क्यों है आवश्यक? इसके बिना हर धार्मिक कार्य है अधूरा, जानिए महत्व

हिंदू धर्म में हवन का विशेष महत्व है। पूजा,अनुष्ठान या शुभ कार्यों में हवन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। महाभारत और रामायण के समय से ऋषियों द्वारा हवन करने की परंपरा चली आ रही है। 

हमारे हिंदू धर्म में हवन को शुद्धि और सकारात्मकता का अनुष्ठान माना जाता है। पूजा-पाठ सहित सभी धार्मिक कार्यों को हवन या यज्ञ के बिना अधूरा माना जाता है। हालांकि हवन का महत्व न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी माना गया है। 

आइए जानते हैं सनातन धर्म में क्या है हवन का महत्व..!

हवन क्या है?

हवन पवित्र अग्नि का एक छोटा रूप है जिसमें कुछ सामग्रियों को मंत्रों के साथ अग्निकुंड में डाला जाता है। हवन एक व्यक्ति या पूरे परिवार द्वारा एक साथ किया जा सकता है. इसमें भगवान का स्मरण, वैदिक मंत्रों का जाप, दक्षिणा आदि शामिल है। 

शास्त्रों में हवन को एक धार्मिक अनुष्ठान बताया गया है, जिसका न केवल व्यक्ति या परिवार पर बल्कि पूरे समाज और प्रकृति पर भी लाभकारी प्रभाव पड़ता है। हवन के दौरान अग्नि और धुएं के साथ मंत्रों का जाप पूरे वातावरण को शुद्ध करता है।

हवन कब किया जाता है?

पूजा या किसी भी धार्मिक समारोह में सदियों से हवन का महत्व रहा है। ग्रह दोष से पीड़ित होने पर ग्रहों की शांति के लिए हवन भी किया जाता है। इसके अलावा किसी भी शुभ कार्य, भूमि पूजन, गृह प्रवेश, भवन निर्माण, कथा और विवाह आदि के समय हवन करने की परंपरा है। यदि घर में किसी प्रकार का वास्तु दोष है तो उसे दूर करने के लिए हवन भी करने की सलाह दी जाती है।

हवन के लाभ-

हवन के लाभ केवल धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बताए गए हैं। हवन देवताओं को प्रसन्न करता है और ग्रह दोष को दूर करता है, साथ ही हवन से निकलने वाला धुआं वातावरण को शुद्ध करता है। 

बता दें कि हवन में उपयोग होने वाली सामग्री जैसे कपूर, लौंग, आम की लकड़ी, घी, अक्षत, गोबर आदि हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करते हैं।

हवन करते समय इन बातों का रखें ध्यान-

1. हवन कुंड की आग को फूंक मारकर या किसी कपड़े से न जलाएं।

2. हवन की आग जलाने के लिए हमेशा घी या कपूर का प्रयोग करें।

3. हवन कुंड में एक बार आग जलाने के बाद उसे वहां से नहीं हटाना चाहिए।

4. हवन कुंड से गिरने वाली सामग्री को उठाकर वापस हवन अग्नि में नहीं डालना चाहिए।

5. हवन कुंड में जलाई गई आग को पानी डालकर नहीं बुझाना चाहिए।


 

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