आज दशहरा है। दशहरे के दिन लोग रावण दहन कर जश्न मनाते हैं। उधर, राजस्थान के जोधपुर में आज असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक दशहरे पर रावण का पुतला दहन किया जाता है लेकिन जोधपुर में एक समाज ऐसा भी है जो दशहरा दिवस को शोक के रूप में मनाता है।
दरअसल जोधपुर का श्रीमाली दवे गोधा परिवार खुद को रावण का वंशज मानता है। वह दशहरा दिवस को शोक के रूप में मनाते हैं। इस दिन जोधपुर में रावण के मंदिर में पूरी रस्म अदा की जाती है।
रावण की पूजा
श्रीमाली दवे गोधा परिवार का कहना है कि रावण संगीत का बड़ा विद्वान होने के साथ-साथ ज्योतिष का भी बड़ा विद्वान था। ऐसा माना जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी जोधपुर के मंडोर की रहने वाली थी। इसलिए रावण को जोधपुर का दामाद माना जाता है।
जोधपुर में मेहरानगढ़ फोर्ट रोड पर स्थित इस मंदिर में रावण और मंदोदरी की मूर्तियां हैं। इस मंदिर का निर्माण भी गोधा गौत्र के श्रीमाली परिवार द्वारा किया गया है। उनका मानना है कि रावण की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। वहां यह उन्हें बुरी नजर से बचाता है।
मंदोदरी की आराधना
स्थानीय पंडितजी के अनुसार, रावण को जलाने के बाद नहाना जरूरी है। पहले जब जलाशय होता था तो हम सब वहीं स्नान किया करते थे। लेकिन अब हम घरों के बाहर स्नान करते हैं। इसके अलावा जोधपुर में मौजूद इस मंदिर में रावण और शिव की भी पूजा की जाती है। उस समय देवी मंदोदरी की भी पूजा की जाती है।
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