प्रस्तावना:
भारतीय समाज एक विवादात्मक और विविध समाज है, जिसमें विवाह और परिवार को लेकर विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक, और कानूनी मूल्यों का सम्मेलन होता है। इसी कारण तलाक की दर यहां कम होती है।
परंपरागत सांस्कृतिक वातावरण:
* भारतीय समाज में परंपरागत सांस्कृतिक मूल्य बहुत अधिक महत्वपूर्ण है जो परिवार और समाज के सद्गुण विकसित करते हैं।
* विवाह को संप्रेषित और पवित्र माना जाता है, जिसके परिणामस्वरूप लोग तलाक की स्थिति से बचने के लिए अपने संबंधों में कठिनाइयों का सामना करते हैं।
कुलीन संबंध:
* भारतीय समाज में कुलीन और जातिवाद का महत्वपूर्ण स्थान है, और इसके कारण लोग विवाहों को बड़े सावधानी से चुनते हैं।
* इसके फलस्वरूप, विवाहों में आत्मसमर्पण और सामंजस्य की भावना बनी रहती है, जिससे तलाक की स्थिति कम होती है।
परिवार का महत्व:
* परिवार को भारतीय समाज में अत्यधिक महत्व दिया जाता है और लोग अपने परिवार के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
* इसके चलते, विवाहित जीवन में उत्तरदाता भूमिका को सजीव रूप से निभाने का प्रयास किया जाता है, जिससे तलाक की स्थिति से बचा जा सकता है।
धार्मिक दृष्टिकोण:
* भारतीय समाज में धर्म का बहुत बड़ा रोल है, और अनेक धर्मों में विवाह और परिवार को लेकर विशेष मार्गदर्शन है।
* यह धार्मिक दृष्टिकोण विवाहित जीवन में समर्पण और साथी संबंध को बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है, जिससे तलाक की स्थिति से बचा जा सकता है।
समरसता और समर्पण:
भारतीय समाज में समरसता और समर्पण की भावना बनी रहती है, जिससे जीवनसाथी के साथ सहयोग और सामंजस्य हमेशा बना रहता है।
समापन:
भारत में तलाक की दर कम होने के पीछे कई कारण हैं, जो समाज में सामंजस्य, परंपरा, और धर्म के मूल्यों का संगम है। लोग अपने वैवाहिक जीवन को बचाए रखने के लिए जीवनसंगी संबंधों में समर्पित रहते हैं, जिससे तलाक की स्थिति से बचा जा सकता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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