परसराम भविष्य पुराण के अनुसार इस कलिकाल में वृक्षारोपण से बड़ा कोई पुण्य नहीं है। आज अति व्यस्तता के कारण धार्मिक संस्कारों को करना बड़ा ही कठिन कार्य हो गया है। कुछ तो धन की तंगी के कारण, कुछ समय न होने कारण, कुछ श्रद्धा व विश्वास के न होने के कारण, ऐसी स्थिति में क्या करें?
भविष्य पुराण के अनुसार वृक्ष लगाने से व्यक्ति के तीन जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं। जिन व्यक्तियों के पुत्र नहीं है, उन्हें वृक्ष को ही पुत्र समझना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने चाहिए।
वृक्षों का रोपण मार्ग में, देवालय में जो व्यक्ति करता है। वह अपने पितरों को बड़े-बड़े पापों से मुक्त कराता है और स्वयं भी इस मनुष्य लोक में कीर्ति तथा शुभ परिणामों को प्राप्त करता है।
वृक्षारोपणकर्त्ता के लौकिक पारलौकिक कर्म वृक्ष ही करते रहते हैं तथा स्वर्ग प्रदान करते हैं। इसलिये किसी वृक्ष की छांव में कोई व्यक्ति विश्राम करे, तो उसे जो सुख मिले उस पुण्य का भागी वृक्ष तो होता ही है किंतु पुण्य का दशांश स्वत: ही रोपणकर्ता के खाते में स्थानांतरित हो जाता है। वृक्षारोपण के लिए यदि शुभ मुहूर्त को चुना जाए तो अति उत्तम होता है।
वृक्षारोपण के लिए वैशाख का महीना अति उत्तम है, आषाढ़, श्रावण तथा भाद्रपद ये महीने श्रेष्ठ है, ज्येष्ठ मास अशुभ होता है। आश्विन कार्तिक में कुछ वृक्षों को छोड़कर (जैसे- पीपल, वट, आंवला आदि जिनका कि कार्तिक मास में अत्यंत महत्व स्वीकारा गया है) वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। इन महीनों में अन्य वृक्ष लगाना अधिक शुभ नहीं होता है।
तुलसी का वृक्ष अपने घर के दक्षिण की ओर, नदी किनारे, श्मशान घाट पर रोपण नहीं करना चाहिए। यदि कोई ऐसा करता है तो उसे यम यातना भोगनी पड़ती है। पीपल के ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने से सद्गति (मुक्ति) के साधन (मार्ग) प्राप्त होते हैं। इसलिए पीपल का वृक्ष जरूर लगाना चाहिए।
1. अशोक का वृक्ष लगाने से कभी शोक नहीं होता है।
2. पाकड़ का वृक्ष लगाने से उत्तम पत्नी मिलती है और ज्ञान रूपी फल प्राप्त होता है।
3. बिल्व का वृक्ष दीर्घायु प्रदान करता है।
4. जामुन का वृक्ष धन देता है।
5. तेंदुआ का वृक्ष कुल की वृद्धि करता है।
6. अनार का वृक्ष स्त्री सुख प्राप्त कराता है।
7. मौलश्री (बकुल) का वृक्ष पाप नाश कराता है।
8. तिनिश का वृक्ष बल बुद्धि प्रदान करता है। शीशम की जाति का घातकी (घव) वृक्ष स्वर्ग प्रदान करता है।
9. वट का वृक्ष मोक्ष प्रदान करता है।
10. आम्र वृक्ष अभीष्ट कामना प्रदान करता है, इच्छा पूर्ति करता है।
11. सुपारी का वृक्ष सिद्धि प्रदान करता है।
12. बल्वल, मधूक, महुआ, अर्जुन का वृक्ष सब प्रकार का अन्न प्रदान करते हैं।
13. कदम्ब का वृक्ष विपुल लक्ष्मी प्रदान करता है।
14. शमी का वृक्ष रोग नाश करता है।
15. नागकेसर से शत्रुओं का विनाश होता है। श्वेत वट धन प्रदान करता है।
16. शीशम, अर्जुन, जयन्ती, करवीर, बेल तथा पलाश वृक्षों के रोपण से स्वर्ग की प्राप्ति होती है तथा रोपणकर्त्ता के तीन जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
यदि कोई व्यक्ति सौ वृक्ष लगाता है वह ब्रह्मा रूप और हजार वृक्षों का रोपण करने वाला विष्णु रूप बन जाता है। वृक्षों का रोपण वैशाख मास में अति उत्तम होता है। वृक्षों को दस-दस हाथ के फासले पर लगाना चाहिए।
भारत वर्ष एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की अधिकतर जनता गाँव में रहती है इसलिए हमारे ऋषि-मुनियों का ध्यान शहर की तरफ कम, ग्राम की तरफ ज्यादा रहता था। हमारे पुराणों में ज्योतिष और आयुर्वेद दोनों का एक साथ मेलजोल मिलता है। नारद पुराण में इसका विस्तार से वर्णन है।
परशुराम वशिष्ट
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