चंदन वृक्ष के आस-पास या इसके तने पर नाग क्यों लिपटे रहते हैं: इस संदर्भ में एक प्राचीन वर्णन इस प्रकार है।
एक बार एक परम योगी चंदन वृक्ष की महकती छाँव तले तपस्या में लीन थे। तभी एक अज्ञानी ने आकर चंदन वृक्ष को काट डाला तथा उसकी लकड़ियों से चूल्हा जलाने लगा।
संत को वृक्ष के कटने से बड़ा दुःख हुआ। उन्होंने मन में सोचा, "यदि आदमी इसी तरह चंदन बर्बाद करता रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब चंदन वृक्ष को के वन महकना ही बंद कर देंगे।"
अतः इस वृक्ष की रक्षा के लिए उन्होंने अपनी शक्ति से दुनिया के तमाम सांपों को बुलाकर संदेश दिया. "आज से तुम चंदन के पेड़ को अपना घर समझना" बस, तब से सांप चंदन के वृक्षों पर दिखाई देने लगे।
पुरातन काल में साधु संत चंदन की लकड़ी से निर्मित झोपड़ियों में निवास किया करते थे। कुछ शास्त्रों में तो ऐसा उल्लेख भी मिलता है कि भारत भर में चंदन के वृक्ष फैलाने का श्रेय बौद्ध काल के साधु संतों को है।
उस समय यदि साधु संतों से अनजाने में कोई पाप हो जाया करता, तो वे पाप को पुण्य में बदलने के लिए सूनी धरती की गोद में चंदन वृक्ष रोप आया करते थे।
पवित्र है - इसलिए इसका उपयोग विभिन्न मजहबों के धार्मिक स्थलों पर भी देखने को मिलता है। वैसे यह विश्व का सबसे प्राचीन सौंदर्य प्रसाधन है। आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सा में इसे चमत्कारी माना गया है।
वर्तमान खोजों से मधुमेह व रक्तचाप में चंदन की उपयोगिता पाई गई है। अमेरिका के वैज्ञानिक कुछ वर्षों से चंदन के विश्लेषण में लगे हुए हैं तथा रोगियों पर इसके प्रभाव की जांच कर रहे हैं।
वर्तमान में चंदन वृक्ष संकट में है। इसकी उपज सरकार को वैज्ञानिक ढंग से करानी चाहिए व इसकी हिफाजत के लिए कानूनों में थोड़ा सुधार किया जाना चाहिए। तब ही जाकर भारत, भविष्य में चंदन वनों की महक से एक बार फिर से महक उठेगा।
विशेष - संसार में सर्वाधिक चंदन वृक्ष भारत के कर्नाटक राज्य में पाये जाते हैं। इस वृक्ष के बारे में यह अजीब तथ्य है कि जिस कंकरीली पथरीली मिट्टी पर उगता है, वहाँ हीरा और तेल की मात्रा अधिक होती है व हीरा जल्दी बनता है।
कई बार चंदन वनों की खुदाई के समय हमारे राजा महाराजाओं को हीरे के भंडार भी मिले हैं। इसी लोभ के कारण हर युग के शासकों ने चंदन वन लगवाये और चंदन के वृक्ष काटने के प्रति कड़े कानून बनाए।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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