अश्वगंधा पर सबसे अधिक महत्वपूर्ण खोज कार्य …
मद्रास में डॉक्टर कुप्पूराजन आदि के द्वारा किया गया है। जनरल ऑफ रिसर्व इन आयुर्वेद एण्ड सिद्धा (जून 1980) के अनुसार 50 से 59 वर्ष आयु के 101 पुरुष वृद्धों पर इस औषधि को चूर्ण रूप में प्रयोग करने पर अश्वगंधा को आयु बढ़ाने वाली पाया गया।
प्रत्येक व्यक्ति को एक वर्ष तक प्रतिदिन एक-एक ग्राम अश्वगंधा के मूल का चूर्ण दिन में तीन बार दूध के साथ दिया गया। कन्ट्रोल वर्ग की तुलना में अश्वगंधा सेवन करने वाले व्यक्तियों में हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कणों की संख्या तथा बालों का कालापन बढ़ा।
जिन वृद्धों की कमर झुकती थी उनके खड़े होने के तरीके में सुधार हुआ तथा संधियों में लचीलापन बढ़ा। इनका सीरम कोलेस्ट्रॉल घटा तथा रक्त कणों के बैठने की गति भी कम हुई। अध्ययन के निष्कर्ष बताते हुए वैज्ञानिकों ने बताया कि यह औषधि बृहणीय (मांस मेद बढ़ाने वाली तथा रसायन (सप्त धातु पोषक) है।
इसकी जड़ों तथा पत्तों में जीवाणु नाशक (एंटीबायोटिक) व वैक्टीरियारोपी गुण बताए गए है। इसकी जड़ में एक क्षारीय तत्व पाया जाता है जिसे सोम्नीफेरम कहते है। इसके अलावा इसमें विधियाल और फाइटोस्टेरॉल नामक तत्व भी उपलब्ध होते हैं। जड़ में स्टार्च के अलावा एक उड़नशील तेल भी मिलता है।
सामान्य मात्रा- जड़ का चूर्ण 3 से 6 ग्राम तक। बच्चों को एक चौथाई ग्राम से एक ग्राम तक।
शास्त्रीय योग- अश्वगन्धवाह, अश्वगंधारिष्ट, अश्वगन्धापक, अश्वगंधा चूर्ण, अश्वगंधामृत आदि प्रायः सभी आयुर्वेदिक निर्माणशालाएं इन योगों को बनाती है।
विविध प्रयोग और उपयोग-
सर्वोपयोगी रसायन- अश्वगंधा का कपड़छान किया हुआ महीन चूर्ण 50 ग्राम, सोंठ चूर्ण, 150 ग्राम मुलहठी का महीन चूर्ण 25 ग्राम, सत्व गिलोय, सितोपलादि चूर्ण 50 ग्राम, पिसी हुई मिश्री 75 ग्राम अच्छी तरह मिलाकर शीशी में कार्क बंद करके रख लें।
मात्रा- बड़ों को 2-3 चाय के चम्मच भर प्रातः सायं एक कप दूध, चाय या गर्म जल में मिलाकर पियें। इसको मिलाने से दूध चाय का स्वाद भी अच्छा हो जाता है। बच्चों को चौथाई से आधा चम्मच प्रातः सायं दूध चाय के साथ या उसमें मिलाकर पिलायें। यह एक वर्ष से ऊपर की उम्र वाले बच्चों के लिए है।
गुण- यह चूर्ण शारीरिक मानसिक शक्ति प्रदान करता है। यह तंत्रिका संस्थान को पुष्ट करता है। शरीर में रोगावरोधक शक्ति बनाए रखने में यह रसायन अत्यंत उपयोगी है।
यदि मानसिक श्रम करने वाले लोग यानी छात्र, वकील, बुद्धिजीवी लोग प्रतिदिन इसे लेते रहें तो उन्हें उत्तम धातुवर्धक व धातुपौष्टिक है। कमजोर बच्चों के शारीरिक विकास में भी सहायता देता है।
पौष्टिक योग- अश्वगंधा का कपड़छान महीन चूर्ण 6 ग्राम को देशी घी 5 ग्राम ओर इससे दोगुने शहद में मिलाकर प्रतिदिन रात को दूध के साथ लेते रहने से धातु की तरलता मिटती है, धातु वृद्धि होती है एवं शरीर में स्फूर्ति, बल और चैतन्यता आती है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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