राजस्थान के पाली जिले में स्थित ॐ आकार का मंदिर अपनी भव्यता और स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। 28 सालों की कड़ी मेहनत और 200 से अधिक नक्शों के बाद यह अद्भुत मंदिर बनकर तैयार हुआ है। यह मंदिर न केवल अपनी भव्यता और विशिष्ट आकार के लिए, बल्कि अपनी स्थापत्य कला, मजबूती और सुविधाओं के लिए भी जाना जाता है।
भवन की विशेषताएं:
13 भागों में बना: यह मंदिर 13 भागों में बनाया गया है, जो ॐ आकार का नक्शा बनाते हैं।
500 सालों तक सुरक्षित: मंदिर भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए बनाया गया है।
सूर्य मंदिर: 42 मीटर ऊंचा सूर्य मंदिर इस भवन का सबसे ऊंचा हिस्सा है।
1008 शिवलिंग: मंदिर में 1008 शिवलिंग स्थापित हैं, जो भगवान शिव के 1008 नामों का प्रतीक हैं।
12 ज्योतिर्लिंग: मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंगों की झलक भी देखने को मिलती है।
आकर्षक मूर्तियां: मंदिर की दीवारों और पिलरों पर भगवान शिव, पार्वती, हनुमान, लक्ष्मी, सरस्वती सहित अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई है।
योग और ध्यान के लिए: मंदिर के बेसमेंट को योग, साधना और ध्यान के लिए बनाया गया है।
आवास और सुविधाएं: मंदिर में 108 कमरे हैं, जहां 10 हजार लोग ठहर सकते हैं। 55 CCTV कैमरे, 6 बड़े हॉल, 10 ऑफिस, 1 लाइब्रेरी, 1 डिजिटल लाइब्रेरी, स्वागत कक्ष, मीटिंग हॉल, 1 रसोई घर, स्वामी महेश्वरानंद पुरी का आवास, उत्तराधिकारी कतारपुरी का आवास और 2 BHK के 2 गेस्ट हाऊस भी बनाए गए हैं।
निर्माण की जानकारी:
शिलान्यास: 23 जनवरी 1995,
निर्माण का समय: 28 साल,
निर्माण में उपयोग किए गए पत्थर: गुलाबी पत्थर, जोधपुरी पत्थर, भरतपुरी पत्थर,
कला: दक्षिण भारतीय नागर शैली,
कुल खर्च: 200 करोड़ रुपये,
निष्कर्ष:
दुनिया का पहला ॐ आकार का मंदिर अपनी भव्यता, स्थापत्य कला, मजबूती और सुविधाओं के लिए एक अद्भुत नमूना है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व का केंद्र होगा, बल्कि पर्यटन के लिए भी एक नया आकर्षण बन जाएगा।
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