अपेक्षाएँ और असफलताएं जीवन में सबके होती हैं, परन्तु इसे किस रूप में लिया गया यह बात महत्वपूर्ण है। सामर्थ्य से अधिक की अपेक्षा जीवन में असफलता एवं निराशा ही लाती है। निरंतर भूत और भविष्य की चिंता करने वाले तनाव की अवस्था में पहुँच जाते हैं।
लंबे समय तक तनाव की स्थिति अनिद्रा आदि कई शारीरिक-मानसिक व्याधियों का कारण बनती है। तनाव प्रबंधन (stress management) एवं मानसिक संतुलन के ऊपर जितने शोध कार्य हुए हैं, उनका निष्कर्ष यही आया है कि जीवन में असफलता से घबराना नहीं चाहिए।
एक नई शुरुआत वहीं से करनी चाहिए। योग एक ऐसी जीवन शैली है जो नई शुरुआत की शक्ति भी देता है और सफलता प्राप्ति के लिए एकाग्रता एवं सजगता भी। इसका जीवन में समावेश तनाव एवं अनिद्रा से त्वरित मुक्ति दिलाता है।
अभ्यास:
आसन: संधि संचालन के अभ्यास (श्वास-प्रश्वास के तालमेल के साथ), ताड़ासन, तिर्यक् ताड़ासन, कटि चक्र आसन (5-5 चक्र) शवासन 15 मिनट, सिद्धासन, पद्मासन, गोमुखासन, वज्रासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन, शवासन 10 मिनट।
प्राणायाम: नाड़ी शोधन, भ्रामरी, उज्जायी।
क्रियाएँ: जलनेति, वमन, कपालभाति (25 से 50 चक्र नियमित)
विशेष: योग निद्रा, सोऽहम साधना, गायत्री मंत्र जाप।
अन्य सुझाव: अपेक्षा और आवश्यकता में अन्तर समझें तथा सामर्थ्य के अनुसार श्रम अवश्य करें। निरंतर चिंतन प्रक्रिया को रोकने के लिए लंबी-लंबी श्वास लें और मन को प्रफुल्लित रखने का प्रयास करें।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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