बढ़ते बच्चों की चंचलता का कारण उनके अंदर की प्राण ऊर्जा है। उस ऊर्जा का सुनियोजन हो सके इस ओर प्रयास किया जाना चाहिए। उनकी रुचि के अनुरूप ही कार्य मिले, तो उनका हठी स्वभाव एवं तोड़फोड़ या नुकसान करने की प्रवृति बदली जा सकती है। पाठ भूलने और शीघ्र याद न होने की समस्या सामान्य है। योग के कुछ चुने हुए अभ्यास बच्चों की इन सभी समस्याओं को हल कर सकता है।
किशोरों की समस्या भी मिलती-जुलती है। उनके अंदर हो रहे तेजी से परिवर्तन को संतुलित करना आवश्यक होता है। उनकी व्यावहारिकता एवं मानसिकता में एकाएक बदलाव का कारण अंदर हो रहे हॉर्मोन्स का श्राव है, जिसे यदि देर तक बनाए रखा जा सके तो परिपक्वता आने में सहायता मिलेगी। योग अभ्यास इसके लिए भी कारगर सिद्ध होता है।
अभ्यास :
आसन : ताड़ासन, तिर्यक् ताड़ासन, कटिचक्रासन ( 5-5 चक्र), सूर्य नमस्कार (5 चक्र), शवासन 15 मिनट। हलासन, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्यासन, कुक्कुटासन, नटराजासन, सर्वांगासन, धनुरासन, पद्मासन, शवासन पुनः 5 मिनट।
प्राणायाम : नाड़ी शोधन, शीतली, भ्रामरी, भस्त्रिका क्रियाएँ : जलनेति, कपालभाति (25 से 50 चक्र नियमित), वमन (सप्ताह में एक बार), त्राटक।
विशेष : योग निद्रा, गायत्री मंत्र जप।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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