मधुमेह (Diabetes)-
मधुमेह शरीर के रक्त में बढ़ी हुई शर्करा की मात्रा के रूप में जानी जाने वाली बीमारी है। इसमें पेंक्रियाज नामक ग्रन्थि के कम काम करने या न काम करने के रण शरीर में शर्करा की मात्रा में वृद्धि हो जाती है। जो इस तरह से, मूत्र के माध्यम से और घाव के न भरने के माध्यम से पहचान में आती है।
डायबिटीज मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है। जूविनाइल- जो बच्चों तथा कम उम्र के लोगों में पायी जाती है तथा मेच्यूरिटी आनसेट डायबिटीज- जो प्रौढ़ावस्था में होती है। जूविनाइल की मुख्य वजह तो अनुवांशिकता हैं; परन्तु इसकी कई और वजहें भी हैं, जबकि मेच्यूरिटी आनसेट मुख्य रूप से एक क्षय प्रक्रिया है, जो उम्र की अधिकता, तनाव, अक्रियाशील जीवन शैली व मिठाइयों के अधिक सेवन की वजह से होती है।
योग चिकित्सा सिद्धांत: यौगिक क्रियाओं का उद्देश्य यहाँ निष्क्रिय हो रहे पैंक्रियाज को पुनः ऊर्जा प्रदान करना तथा शरीर से अधिक शर्करा की मात्रा को निष्कासित करना है। ज्यादातर रोगी मोटापे से भी ग्रस्त होते हैं। इसलिए धीरे-धीरे अभ्यास की मात्रा में वृद्धि करके इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
योगाभ्यास:
आसन: संधि संचालन, उदर संचालन एवं शक्ति संवर्धन के अभ्यास (क्षमतानुसार), ताड़ासन, तिर्यक्ताडासन, कटिचक्रासन (5-5 चक्र), सूर्य नमस्कार (पहले धीरे-धीरे फिर तेजी से पाँच से सात चक्र), शवासन (10 मिनट), पश्चिमोत्तानासन, शशांकासन, भुजंगासन, धनुरासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, वक्रासन, हलासन, सर्वांगासन, विपरीतकरणी, शवासन (पुनः आवश्यकतानुसार)।
प्राणायाम: भस्त्रिका, सूर्य भेदन, नाड़ीशोधन, शीतली, भ्रामरी।
क्रियाएँ: नेति, वमन, लघु शंख प्रक्षालन (सप्ताह में एक बार), कपालभाति (25 से 100 चक्र नियमित)।
विशेष: योग निद्रा
सावधानियां: यदि उच्च रक्तचाप या हृदय रोगी हैं, तो पहले उसे नियंत्रण में लाने वाले अभ्यास करें,
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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