Published By:धर्म पुराण डेस्क

अस्थमा के लिए योगासन: योगासन से इस तरह दूर करें अस्थमा

योग आसन और अस्थमा-

अस्थमा एक श्वासनली का रोग है जिसमें श्वास लेने की प्रक्रिया में समस्या होती है। यह श्वासनली रोग वातात्मक और प्रदूषण के कारण उत्पन्न हो सकता है और इसके प्रमुख लक्षण में सांस लेने में तकलीफ, छींकें, गले में खराश और फुफ्फुसों में घुटन शामिल होती हैं। अस्थमा के लिए उपयुक्त योगाभ्यास और आसन इस रोग के प्रबंधन और संचालन में मदद कर सकते हैं।

योग एक प्राचीन भारतीय व्यायाम पद्धति है जिसमें श्वासनली को मजबूत बनाने और स्वास्थ्य को सुधारने के लिए विभिन्न आसन, प्राणायाम और ध्यान का उपयोग किया जाता है। अस्थमा में योगाभ्यास करने से न सिर्फ श्वासनली की क्षमता में सुधार होता है, बल्कि श्वासनली संक्रमण के आंकड़े भी कम हो सकते हैं और श्वास की समस्याओं का प्रबंधन किया जा सकता है।

योगाभ्यास में कुछ आसन विशेष रूप से अस्थमा के लिए फायदेमंद होते हैं। ये आसन श्वासनली को मजबूत बनाने, सांस लेने की क्षमता को बढ़ाने और श्वासनली के संक्रमण को कम करने में मदद करते हैं।

अस्थमा-

अस्थमा श्वसन प्रणाली एक जटिल समस्या है। अत्यधिक म्यूकस का श्राव हमारी श्वास के क्रम को बाधित करता है। दम फूलना और श्वास लेने में तकलीफ होना अत्यधिक श्लेष्मा का गाढ़े रूप में खांसी के साथ बाहर निकलना, इसके सामान्य हैं। कभी-कभी तो श्वास ही अवरुद्ध होता जान पड़ता है। इसकी मुख्य वजह तो बाहरी एलर्जी ही है, मनोवैज्ञानिक व अनुवांशिक कारण भी महत्वपूर्ण है। इससे किसी भी उम्र के लोग प्रभावित हो सकते हैं।

योग चिकित्सा सिद्धांत:

मुख्य रूप से इन रोगियों के अंदर श्वास लेने की दिक्कत होती है. जो शरीर की प्राण ऊर्जा को कम करती है और व्यक्ति दुर्बल होता जाता है। योगाभ्यास उनमें प्राण ऊर्जा का संचार करने तथा अत्यधिक श्लेष्म को बाहर निकालने के लिए कार्य करता है।

आसन: ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, कटिचक्रासन (5-5 चक्र), मार्जरी आसन, शशांक-भुजंगासन (क्षमतानुसार), शवासन (10 मिनट), सूर्य नमस्कार धीरे-धीरे 1 से 5 चक्रवृद्धि क्रम में, भुजंगासन, धनुरासन, गोमुखासन तथा अर्धमत्स्येन्द्रासन।

प्राणायाम: नाड़ीशोधन, भस्त्रिका, सूर्यभेदन।

क्रियाएँ: कुंजल (सप्ताह में तीन बार), नेति (सप्ताह में दो बार ), कपालभाति (नियमित 25 से 100 चक्र)।

पूर्ण प्राणायाम (Full Yogic Breathing): इस आसन में आपको निश्वास के समय और उच्चरण के समय के बीच लंबी सांस लेनी होती है। इससे श्वासनली की क्षमता में सुधार होता है और दिनचर्या में स्थिरता और शांति बढ़ती है।

भस्त्रिका प्राणायाम (Bellows Breath): इस प्राणायाम में श्वासनली को मजबूत बनाने और श्वासनली संक्रमण को कम करने के लिए तेज और गहरी सांस ली जाती है। यह आसन श्वास के लिए प्रभावी होता है और छींकें को कम करने में मदद करता है।

उज्जायी प्राणायाम (Victorious Breath): इस प्राणायाम में सीने के भीतर जलन बनाकर सांस ली जाती है और उच्चरण के दौरान उच्च स्वर की ध्वनि निकाली जाती है। यह आसन श्वासनली को मजबूत बनाने और संक्रमण को कम करने में मदद करता है।

भुजंगासन (Cobra Pose): यह आसन पीठ और छाती की मांसपेशियों को खोलने में मदद करता है और श्वासनली को मजबूत बनाने में सहायता प्रदान करता है।

पवनमुक्तासन (Wind-Relieving Pose): यह आसन पेट और आंतों को मजबूत करने में मदद करता है और गैस को निकालने में सहायता प्रदान करता है, जो अस्थमा के लक्षणों को कम कर सकता है।

शवासन (Corpse Pose): शवासन एक संपूर्ण शरीर के साथ मन की शांति का आसन है। यह आसन श्वासनली को आराम देता है और तनाव को कम करके श्वास की समस्याओं को प्रबंधित करने में मदद करता है।

योग आसनों को सही तरीके से करने के लिए अनुभवित योग गुरु की मार्गदर्शन और नियमित अभ्यास अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यदि आपको अस्थमा है, तो आपको अपने चिकित्सक से संपर्क करके उचित दिशा-निर्देश प्राप्त करना चाहिए और अपने स्वास्थ्य के बारे में उन्हें सूचित करना चाहिए।

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